यूँ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वन’ को नारे की तरह इस्तेमाल करते हैं। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ या ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ जैसे लुभावने नारे उछाल कर देश और दुनिया को नए तरह का और नए तरह से सियासी संदेश देते हैं। एक तरह से वे बताते हैं कि वे दूरदर्शी हैं और देश को एक करने में उनके ये नारे प्रेरक साबित हो सकते हैं लेकिन वन का यह जाप नरेंद्र मोदी अपनी सुविधा से इस्तेमाल करते हैं।
क्रिकेट के लिए चीनी कंपनी को ‘हाँ’, ओलंपिक के लिए ‘ना’, ऐसा क्यों?
- विचार
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- 21 Jun, 2021

ऐसा कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कड़ा एतराज़ जताया और पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम के लिए ली-निंग से किए गए क़रार को रद्द कर दिया गया है।
कोरोना काल में ‘वन नेशन-वन वैक्सीनेशन’ का नारा नहीं दिया। वैक्सीन की क़ीमतों को लेकर भी उनका ‘वन’ का नारा ज़मीन पर नहीं उतरा। ऐसा ही कुछ अब खेलों में देखने को मिल रहा है। ‘वन नेशन’ तो है लेकिन खेलों के लिए नियम-क़ायदे अलग-अलग हैं सरकार के। क्रिकेट को हर चीज की छूट तो दूसरे खेलों पर बंदिशें और पाबंदियाँ। सवाल यह है कि जब ‘वन’ पर इतना जोर है तो क्रिकेट और दूसरे खेलों के मामले में ‘वन नेशन-वन इमोशन’ जैसी बातें क्यों नहीं। क्रिकेट से जुड़े मामलों पर सरकार चुप रहती है, लेकिन दूसरे खेलों की बात आती है तो प्रधानमंत्री कार्यालय हस्तक्षेप करता है। यानी सरकार क्रिकेट और दूसरे खेलों को लेकर भेदभाव करती है।