भारत में कन्फ्यूसियस संस्थानों की गतिविधियों की समीक्षा करने और चीनी भाषा की पढ़ाई बंद करने के सरकारी फैसले के बाद चीन ने भारत सरकार से भावुक अपील की है कि वह इन संस्थानों का राजनीतिकरण नहीं करे। भारत से पहले अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया ने अपने यहां चल रहे कन्फ्यूसियस संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।
कन्फ्यूसियस संस्थानों में चीनी भाषा की पढ़ाई बंद करने से परेशान क्यों है चीन?
- विचार
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- 5 Aug, 2020

राजनयिक पर्यवेक्षकों ने कहा है कि कन्फ्यूसियस संस्थानों के जरिये चीन जासूसी का तंत्र खड़ा करता है और दूसरे देशों में चीन विरोधी हवा को बहने से रोकता है। नेपाल के आम लोगों में चीन के प्रति बढ़ते लगाव के पीछे भी कन्फ्यूसियस संस्थानों की बड़ी भूमिका मानी जाती है। पाकिस्तान में भी इसी तरह कन्फ्यूसियस संस्थानों ने अपने पांव काफी पहले जमा लिए थे। बांग्लादेश में भी कन्फ्यूसियस संस्थानों ने एक दशक पहले से ही ज़मीन मजबूत करनी शुरू कर दी थी।
इन देशों की ओर से कहा गया है कि कन्फ्यूसियस संस्थान चीन की प्रोपेगेंडा इकाई हैं जो स्थानीय जनमत को अपने देश के रिश्तों के साथ अपने अनुकूल मोड़ देने की भूमिका निभाती हैं। कन्फ्यूसियस संस्थानों के जरिये चीन अपनी छवि चमकाता है और इनके जरिये स्थानीय जनमत को प्रभावित करता है।