लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी को बीज़ेपी नेताओं की ओर से संसद के अंदर और बाहर ‘ग़द्दार’ कहा जाना बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी अदालतों से जारी वारंट का सामना कर रहे उद्योगपति गौतम अडानी की निकटता को लेकर बढ़ते सवालों से सत्ताधारी पार्टी किस क़दर बेचैन हो रही है। विडंबना यह है कि पाँच पीढ़ियों से देश के लिए अद्वितीय क़ुर्बानियाँ देने वाले परिवार के प्रतिनिधि को उस राजनीतिक धारा की ओर से ग़द्दार कहा जा रहा है, जिसकी ग़द्दारी के दस्तावेज़ी प्रमाण मौजूद हैं।
राहुल को ‘ग़द्दार’ कहने के पीछे स्वतंत्रता आंदोलन से ‘ग़द्दारी’ की हीनभावना!
- विचार
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- 6 Dec, 2024

संबित पात्रा का बयान बेशर्मी की इंतेहा है जो अडानी के कारोबार में हुई धाँधलियों पर सवाल उठाने को भारत के हित पर चोट बताता है। यह एक शातिर चाल भी है, जिसके तहत राहुल गाँधी को ‘ग़द्दार’ बताकर उनके ख़िलाफ़ एक नयी मुहिम का आग़ाज़ किया जा रहा है।
गौतम अडानी को कई देशों में सौदा दिलाने में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पद का प्रभाव डाला, यह बात छिपी हुई नहीं है। ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, केन्या, श्रीलंका सहित कई देशों में अडानी समूह को मिली कई परियोजनाओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट भूमिका अदा की जिनमें कई विवादों के घेरे में हैं या रद्द हो चुकी हैं। अडानी के कारोबार में नियम-क़ानून के उल्लंघन का सवाल हिंडनबर्ग रिपोर्ट से भी उठा था और अब अमेरिकी अदालत ने वारंट जारी करके इस पर मुहर ही लगा दी है। स्वाभाविक है कि विपक्ष के नेता बतौर राहुल गाँधी देश के हित पर ‘अडानी के हित’ को तरजीह देने की नीति पर सवाल उठायें। लेकिन जिस तरह से बीजेपी की ओर से उन पर पलटवार होता है, वह बताता है कि पार्टी गौतम अडानी को कोई सामान्य उद्योगपति नहीं, उनको अपना आदमी मानती है।