कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस समय जो कुछ भी चल रहा है उसे लेकर लोगों के मन में दो-तीन तरह के सवाल हैं। जैसे - क्या कांग्रेस (या कांग्रेसियों) की मूल आत्मा अभी भी वही बची है जिसको जनता आज़ादी के पहले से देखती-समझती आ रही है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि पार्टी की मूल विचारधारा और प्रतिबद्धताओं को लेकर मतदाताओं को धोखे में रखा जा रहा है? दूसरी ओर, क्या बीजेपी मीटर गेज पर चल रही अपनी परम्परागत विचारधारा से उतरकर कांग्रेसवाद की बुलेट ट्रेन पर इसलिए तो सवार नहीं हो रही है कि उसे अब सभी राज्यों में अपना साम्राज्य तुरंत चाहिए?