कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस समय जो कुछ भी चल रहा है उसे लेकर लोगों के मन में दो-तीन तरह के सवाल हैं। जैसे - क्या कांग्रेस (या कांग्रेसियों) की मूल आत्मा अभी भी वही बची है जिसको जनता आज़ादी के पहले से देखती-समझती आ रही है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि पार्टी की मूल विचारधारा और प्रतिबद्धताओं को लेकर मतदाताओं को धोखे में रखा जा रहा है? दूसरी ओर, क्या बीजेपी मीटर गेज पर चल रही अपनी परम्परागत विचारधारा से उतरकर कांग्रेसवाद की बुलेट ट्रेन पर इसलिए तो सवार नहीं हो रही है कि उसे अब सभी राज्यों में अपना साम्राज्य तुरंत चाहिए?
कांग्रेस नेताओं को पार्टी में क्यों शामिल कर रही है बीजेपी?
- विचार
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- 17 Jul, 2020

बीजेपी की गंगा में एक तरफ़ तो कांग्रेसी विचारधारा की नहरों का पानी मिल रहा है और दूसरी तरफ़ मंत्रालयों का काम काज नेताओं की जगह सेवानिवृत नौकरशाहों के हवाले हो रहा है।
पहले सवाल के जवाब हाल की कुछ घटनाओं में तलाश किए जा सकते हैं। बहुत पीछे केरल के इतिहास में नहीं जाना हो तब भी सचिन पायलट-सिंधिया प्रसंग में किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता ने ऐसा आरोप खुलकर नहीं लगाया है कि ये युवा नेता साम्प्रदायिकता फैलाने वाली हिंदुत्ववादी ताक़तों के हाथों में खेल रहे हैं। वे नाम लेकर इसे केवल बीजेपी नाम की एक पार्टी का षड्यंत्र बता रहे हैं।