हिंसक गतिविधियों के लिए देश के कई हिस्से में चर्चा में रहने वाली पीसीआई (माओवादी) सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है। उसने कहा है कि अगर सरकार की ओर से हमले बंद हो जायें तो वह भी युद्ध विराम के लिए तैयार है। उधर, सरकार की ओर से हथियार डालने की शर्त रखी गयी है। आख़िर, माओवादी पार्टी को यह ताक़त कहाँ से मिली कि वह सरकार के साथ युद्ध छेड़े? इस पार्टी का इतिहास क्या है?
युद्ध विराम की पेशकश करने वाले माओवादी आये कहाँ से?
- विचार
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- 4 Apr, 2025

ये माओवादी हैं कौन? क्या चीन से आये हैं जहाँ माओ के नेतृत्व में कभी क्रांति हुई थी? और ये नक्सलवाद क्या है और माओवाद से उसका रिश्ता क्या है? क्या दोनों एक ही चीज़ हैं। नक्सलियों को अक्सर वामपंथी उग्रवादी भी कहा जाता है। सवाल है कि क्यों और वे भारत में कैसी क्रांति करना चाहते हैं?
लेकिन पहले बात शांति प्रस्ताव की। दरअसल, 24 मार्च को हैदराबाद में हुई शांति वार्ता समिति की एक बैठक के बाद माओवादियों और सरकार से माओवादियों से मध्यभारत में जारी युद्ध को तत्काल रोकने की अपील की गयी थी। 28 मार्च को माओवादी पार्टी के प्रवक्ता अभय की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया है कि अगर सरकार की ओर से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों में हमला बंद होता है तो वह भी युद्ध विराम के लिए तैयार है। पिछले 15 महीनों में बस्तर में 400 से ज़्यादा लोग मारे गये हैं। उधर, छत्तीसगढ़ सरकार के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि बातचीत का रास्ता खुला है, लेकिन हिंसा स्वीकार नहीं है। यानी जब तक माओवादी हथियार नहीं रख देते हैं, बातचीत संभव नहीं है।