मुफ़लिस सेअब चोर बन रहा हूँ मैं
सामाजिक न्याय का मसीहा; क्यों याद करें विश्वनाथ प्रताप सिंह को?
- विचार
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- 27 Nov, 2019

आज पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की पुण्य तिथि है। क्यों याद करना चाहिए विश्वनाथ प्रताप सिंह को? क्या सिर्फ़ इसलिए कि वह पूर्व प्रधानमंत्री थे या इसलिए कि वह सामाजिक न्याय की पैरवी करते रहे थे?
पर
इस भरे बाज़ार से
चुराऊँ क्या
यहाँ वही चीजें सजी हैं
जिन्हें लुटाकर
मैं मुफ़लिस बन चुका हूँ।
भारत के प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ये लाइनें कब लिखीं, यह बता पाना तो मुश्किल है। लेकिन इन पंक्तियों में मांडा नरेश के प्रधानमंत्री बनने से लेकर उन्हें गालियाँ दिए जाने को लेकर उनका दर्द समाया हुआ है।
विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत की ऐसी शख़्शियतों में शामिल हैं, जिन्होंने ग़ैर-बराबरी दूर करने के लिए बड़ी जंग लड़ी। 1989 के आम चुनाव के पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने वंचितों को अपनी ओर खींचा ही नहीं, बल्कि चुनाव घोषणा पत्र में मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का वादा भी किया। विश्वनाथ प्रताप की वंचितों के प्रति भावना ही कहेंगे कि उन्होंने सत्ता में आते ही मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करवाने पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने दक्षिण भारत के तेज़-तर्रार आईएएस अधिकारी पीएस कृष्णन को इस काम पर लगाया, जिन्होंने बख़ूबी यह काम करके दिखाया और मंडल कमीशन लागू करने की नींव तैयार कर दी।