इसराइल-अरब संघर्ष और उसके पहले से चल रही रूस –यूक्रेन जंग के मद्देनज़र यूएनओ की ख़त्म या नगण्य होती भूमिका दुनिया के लिए चिंता का सबब है। यह वही दुनिया है जो अभूतपूर्व संकट –कोविड महामारी से निकल कर आ रही है और अब धीरे-धीरे आर्थिक अवसान से भी उबारना संभव हो पा रहा है। आख़िर क्यों ढाई साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध या वर्तमान में इसराइल-फिलस्तीन जंग का ख़तरनाक पश्चिम एशियाई विस्तार के बावजूद यह संगठन मूकदर्शक बना रहा? कोविड के संकट के दौरान इसकी भूमिका मात्र महामारी से मरने वालों के आँकड़े देने से ज़्यादा नहीं थी। वैक्सीन की खोज भी देशों ने अपने दम पर किया। यहाँ तक कि महामारी के लिए चीन प्रयोगशाला को दोषी ठहराने में भी यह आनाकानी करता रहा।