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फ़ाइल फ़ोटोफ़ोटो साभार: ट्विटर/उमा भारती

‘राम किसी की बपौती नहीं’ कहकर किस पर ग़ुस्सा निकाल रही हैं उमा भारती?

बीजेपी नेता उमा भारती ने दो टूक कहा है कि ‘राम’ अयोध्या या भारतीय जनता पार्टी की बपौती नहीं हैं। उन्होंने कहा, "राम सबके हैं, पूरे विश्व के हैं, जो राम को मानते हों, वे चाहे किसी भी धर्म के किसी भी संप्रदाय के या विश्व के किसी भी देश के या किसी भी पार्टी के हों। राम उन सबके हैं जो राम को मानते हैं उनमें आस्था रखते हैं। हम यदि राम के ऊपर अपना ‘पेटेंट’ या एकाधिकार ज़माना चाहते हैं, तो यह हमारा अहंकार है, हमारी भूल है। राम अविनाशी हैं, राम का अंत नहीं हमारा अंत है!'

भारतीय जनता पार्टी की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती जो 90 के दशक में राम जन्म भूमि आंदोलन में अपनी सक्रियता की वजह से देश के राजनीतिक पटल पर उभरी थीं, अब राम जन्मभूमि अयोध्या में, राम मंदिर के भूमि पूजन आयोजन को लेकर खुले रूप से विरोध का स्वर दर्ज करा रही हैं। देश में जिन दिनों राम मंदिर आंदोलन उभार पर था उमा भारती के ऑडियो टेप शहर के चौराहों से लेकर गाँवों की गलियों तक गूँजा करते थे। उन टेप में जिस तरह के संबोधन थे उसने युवा हिन्दू वर्ग को बड़ी संख्या में इस आंदोलन से जोड़ा था।

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यह वही दौर था जब बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी हर साल अपनी रथ यात्राओं के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों की यात्राएँ करते थे और राम मंदिर निर्माण के लिए हिन्दुओं को संगठित करते थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के मंडल फ़ॉर्मूले के ख़िलाफ़ आडवाणी की रथ यात्राओं ने देश की राजनीति में जो ध्रुवीकरण किया, उसका परिणाम यह हुआ था कि देश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में स्थापित हुई थी। आज जब अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हो रहा है तो इस आंदोलन से जुड़े तमाम नेता हाशिये पर नज़र आ रहे हैं। और इस कार्य को विपक्षी दल या उसकी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि उन्हीं की पार्टी की सरकार द्वारा किया जा रहा है। लेकिन अब इस अनदेखी को लेकर उसी पुरानी पीढ़ी की प्रखर वक्ता कही जाने वाली उमा भारती ने विरोध के स्वर बुलंद किये हैं।

सोमवार सुबह जब उमा भारती ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर इस आयोजन से अपनी दूरी रखने की बात ‘कोरोना संक्रमण’ की वजह से बतायी थी तो हमने इसे सांकेतिक विरोध कहते हुए ख़बर प्रकाशित की थी। और देर शाम तक उमा भारती ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘राम’ पर जिस तरह का एकाधिकार जताया जा रहा है वह ‘अहंकार’ है।

उमा भारती का यह बयान बड़ा व्यापक है। यह बयान राम मंदिर भूमि पूजन के संदर्भ में भले ही दिया गया है, लेकिन यह सरकार के कामकाज पर भी टिप्पणी है।

उमा भारती ने वैसे ही शब्दों का प्रयोग किया है जो सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों या विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा मोदी सरकार के कामकाज को लेकर बोले जाते हैं। 

राम मंदिर के आयोजन को लेकर उमा भारती का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जिस दौर में यह आंदोलन परवान चढ़ाया जा रहा था, उस दौर में आज सत्ता में बैठे अधिकांश नेता दूसरी पंक्ति के भी नहीं माने जाते थे। उमा भारती 'राम मंदिर निर्माण' को यज्ञ बोलती थीं और उसके लिए प्राणों की सहर्ष आहूति देने की बात करती थीं। उनकी राजनीति में पहचान ही राष्ट्रीय स्तर पर राम जन्म भूमि आंदोलन के दम पर बनी।

ट्वीट में क्या लिखा उमा भारती ने?

और उन्हें ट्विटर पर आकर यह लिखना पड़ा कि ‘कल जब से मैंने अमित शाह और यूपी बीजेपी के नेताओं के कोरोना पॉजिटिव होने का सुना तभी से मैं अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास में उपस्थित लोगों के लिए ख़ासकर पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चिंतित हूँ। इसलिए मैंने रामजन्मभूमि न्यास के अधिकारियों को सूचना दी है कि शिलान्यास के कार्यक्रम के मुहूर्त पर मैं अयोध्या में सरयू के किनारे पर रहूँगी। भोपाल से अयोध्या पहुँचने तक मेरी किसी संक्रमित व्यक्ति से मुलाक़ात हो सकती है। ऐसी स्थिति में जहाँ पीएम नरेंद्र मोदी और सैकड़ों लोग उपस्थित हों मैं उस स्थान से दूरी रखूँगी और पीएम मोदी और सभी समूह के चले जाने के बाद ही मैं रामलला के दर्शन करने पहुँचूँगी। यह सूचना मैंने अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ अधिकारी और पीएमओ को भेज दी है की माननीय नरेंद्र मोदी के शिलान्यास कार्यक्रम के समय उपस्थित समूह के सूची में से मेरा नाम अलग कर दें।’

उमा भारती के इस निर्णय को, राम मंदिर के कार्यक्रम से लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी की दूरी से जोड़कर देखा गया था। लेकिन बाद में उन्होंने पत्रकारों के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि ‘राम’ किसी की बपौती नहीं हैं।

अयोध्या में होने वाले इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख अतिथि रहने वाले हैं, उनके साथ इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ संचालक मोहन भागवत भी उपस्थित रहेंगे। इस आयोजन में क़रीब डेढ़ सौ लोगों की विशेष उपस्थिति रहने वाली है। बीजेपी के पुरानी पीढ़ी के नेताओं जिनमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, गोविंदाचार्य आदि हैं, को इस आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण नहीं है, ऐसी ख़बरें हैं।

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उमा भारती के बयान के बाद अब ये चर्चाएँ जोरों पर हैं कि क्या अयोध्या में राम जन्म भूमि पर भगवान राम के मंदिर के भूमि पूजन को लेकर बीजेपी या संघ परिवार में अंतर्विरोध चल रहा है? क्या बीजेपी के वरिष्ठ नेता तथा एक वर्ग इस आयोजन में शामिल होने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों से नाराज़ हैं? वैसे दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सरकार फ़िलहाल भूमि पूजन के कार्यक्रम को भव्य बनाने में व्यस्त है। इस व्यस्तता के बीच क्या उमा भारती द्वारा उठाये गए सवालों पर कोई गंभीरता से विचार करेगा या संज्ञान लेगा? वैसे हमने कल सुबह ही उमा भारती के विरोध की ख़बर प्रकाशित की थी। जैसा सूत्रों से पता चल रहा है, बीजेपी के अंदर एक वर्ग काफ़ी नाराज़ है, जिसने पार्टी को खड़ा करने के लिए वर्षों संघर्ष किया, लेकिन सत्ता मिलने पर वो अपने आपको हाशिये पर महसूस कर रहा है।

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संजय राय
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