चीन पर 104 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ़ कर दिया है कि वे जिस राह पर आगे बढ़ चुके हैं, उससे क़दम जल्द पीछे नहीं खींचेंगे। चीन के साथ साथ उनकी अन्य देशों के साथ भी तनातनी है। उधर, अमेरिकी जनता को लगभग सौ साल पहले का ख़ौफ़नाक मंज़र याद आ रहा है जब ऐसा ही टैरिफ़ वार शुरू हुआ था और नतीजा आर्थिक महामंदी के रूप में सामने आया था। जनता ने भीषण ग़रीबी और बदहाली झेली थी। यही वजह है कि देश के कई हिस्सों में राष्ट्रपति ट्रंप के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं।
सौ साल पुरानी महामंदी की याद दिला रहा है ट्रंप का टैरिफ़ वार!
- विचार
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- पंकज श्रीवास्तव
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- 9 Apr, 2025


पंकज श्रीवास्तव
1930 की मंदी ने मजदूरों-किसानों को भूखा मारा, मध्यवर्ग को सड़क पर ला दिया था। लेकिन सबसे बड़ी बात, बढ़ते असंतोष का फ़ायदा चरमपंथी और तानाशाहों ने उठाया। जर्मनी में हिटलर और इटली में मुसोलिनी को मौक़ा मिला तो उन्होंने नफ़रत की ऐसी संगठित आँधी चलाई कि दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध के दौर में पहुँच गयी।
टैरिफ़ का अर्थ है आयात पर लगाया गया कर। इससे विदेश से आने वाला सामान महँगा हो जाता है। ट्रंप को लगता है कि टैरिफ़ की दरों के असंतुलन की वजह से अमेरिका को नुक़सान हो रहा है और चीन तथा भारत जैसे देशों का सामान उनके देश में सस्ती दरों में बिकता है। इसका असर अमेरिकी कंपनियों के व्यवसाय पर पड़ता है। अमेरिका को कथित रूप से लूटे जाने के इस सिलसिले को रोकने का ऐलान करते हुए अप्रैल की शुरुआत में ट्रंप ने चीन पर 34%, भारत पर 26%, यूरोपियन यूनियन पर 20%, कनाडा-मैक्सिको पर 25%, वियतनाम पर 46%, बांग्लादेश पर 37% और जापान पर 24% का टैरिफ़ लगा दिया। जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने अमेरिका पर 34%, कनाडा ने 25%, और यूरोप ने 20-25% टैरिफ लगा दिया। ट्रंप इस पर काफ़ी भड़क गये और कड़ा संदेश देते हुए चीन पर 104% का टैरिफ़ लगा दिया। यानी अगर कोई चीनी सामान कल तक सौ डॉलर में अमेरिका में बिकता था तो अब 204 डॉलर में बिकेगा।
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पंकज श्रीवास्तव
डॉ. पंकज श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।