ब्रिटिश हुकूमत से लड़ाई लड़ने पर सरकार समर्थित अंग्रेजी मीडिया मोहनदास करमचंद गाँधी व कांग्रेस के नेताओं की जमकर आलोचना करती थी। स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे नेताओं को मीडिया में कम ही जगह मिलती थी। उस दौर में गाँधी से लेकर अंबेडकर तक सभी बड़े नेता अपनी बात रखने के लिए अपना अख़बार निकालते, किताबें लिखते और जनता के बीच जाते थे।