70 साल पहले हम भारत के लोगों ने भारत के संविधान को अपना लिया था। इन 70 वर्षों में संविधान की स्थाई भावना को बदलने की कई बार कोशिश की गयी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट चौकन्ना रहा और जब भी कार्यपालिका और विधायिका ने  संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, कोर्ट ने उन्हें सही रास्ता दिखा दिया। गोलकनाथ केस और केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक मुक़दमे इस बात के पक्के सबूत हैं कि संविधान को बदलने की कोशिश सफल नहीं होने दी गयी लेकिन अब स्थिति बदलती नज़र आ रही है।