रोहित वेमुला झूठा था, जालसाज़ था, उसने फ़र्ज़ी जाति-प्रमाण पत्र दिया था और उसे डर था कि उसकी यह जालसाज़ी पकड़ी न जाए। इस डर की वजह से उसने खुदकुशी कर ली। यह हैदराबाद पुलिस की राय है। यह राय उसने अदालत में रोहित वेमुला केस में क्लोज़र रिपोर्ट देते हुए और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के सभी आरोपियों को बरी करते हुए व्यक्त की है। हालाँकि बताया जा रहा है कि ये रिपोर्ट 2018 में ही तैयार कर ली गई थी और अब राज्य के डीजीपी कह रहे हैं कि पुलिस इस मामले में और जांच करेगी।
रोहित वेमुला की ख़ुदकुशी के साथ क्या यह गंदा मज़ाक नहीं है?
- विचार
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- 6 May, 2024

रोहित वेमुला को लेकर पुलिस की ऐसी रिपोर्ट कैसे आई? क्या समतावादी समाज और विचार में भरोसा रखने वाला भारत यह लड़ाई हार चुका है? क्या वह उन लोगों के प्रलोभन में आ गया है जो इस देश को बांट कर यहां अपना राज बनाए रखना चाहते हैं?
लेकिन क्या वाक़ई रोहित वेमुला डरा हुआ था? वह आंबेडकर छात्र संघ से जुड़ा हुआ था- ऐसे मुद्दों पर प्रदर्शन और आंदोलन करता था जो दक्षिणपंथी जमातों को रास नहीं आते थे। उनकी शिकायत पर उसकी छात्रवृत्ति रोक दी गई। एक गरीब घर के लड़के के लिए 25,000 रुपये महीने की यह छात्रवृत्ति कितनी अहमियत रखती थी, यह समझना मुश्किल नहीं होना चाहिए। फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक छात्र नेता के साथ मारपीट के आरोप में उसे निलंबित कर दिया गया। उस पर कार्रवाई के लिए चिट्ठियां लिखने वालों में संघ के नेता बंडारू दत्तात्रेय भी थे जिनकी चिट्ठी स्मृति ईरानी ने भी विश्वविद्यालय के वीसी तक अग्रसारित की थी जो उन दिनों मानव संसाधन मंत्री हुआ करती थीं।