सन 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के मूलत: शिवमंदिर होने का दावा करने वाली पी.एन.ओक की याचिका ‘बी इन हिज़ बोनेट’ की टिप्पणी के साथ खारिज कर दी थी। टिप्पणी का अर्थ हुआ कि याचिकाकर्ता को सनक सवार है, वह एक ही बात भुनभुना रहा है। लेकिन यह विवाद 2022 में भी सरगर्म है। नफ़रत की देग़ पर सत्ता की बिरयानी बनाने वालों के लिए न इतिहास से मतलब है और न तथ्यों से, उन्हें बस भुनभुनाते हुए उन कान के कच्चे लोगों के दिमाग़ में ज़हर भरना है जो उनकी राह आसान करते हैं।