सन 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के मूलत: शिवमंदिर होने का दावा करने वाली पी.एन.ओक की याचिका ‘बी इन हिज़ बोनेट’ की टिप्पणी के साथ खारिज कर दी थी। टिप्पणी का अर्थ हुआ कि याचिकाकर्ता को सनक सवार है, वह एक ही बात भुनभुना रहा है। लेकिन यह विवाद 2022 में भी सरगर्म है। नफ़रत की देग़ पर सत्ता की बिरयानी बनाने वालों के लिए न इतिहास से मतलब है और न तथ्यों से, उन्हें बस भुनभुनाते हुए उन कान के कच्चे लोगों के दिमाग़ में ज़हर भरना है जो उनकी राह आसान करते हैं।
‘तेजोमहालय’ मनगढ़ंत? पढ़ें, ताजमहल बनने की आँखों देखी कहानी!
- विचार
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- 12 May, 2022

इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाकर ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग की गई। दावा किया गया कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। कभी तेजोमहालय का दावा किया गया। सच क्या है? जानिए, ताजमहल की सचाई।
आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया बार-बार कह चुका है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि ताजमहल कभी मंदिर था। पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय संस्कृति मंत्री रहे महेश शर्मा ने स्पष्ट कहा था कि सरकार को ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के दावे से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है।