वायु सेना के लिए रफ़ाल विमान ख़रीद के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार साफ़ तौर पर फँसती नज़र आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फ़ैसले में साफ़ कर दिया है कि सरकार को इस बात पर राहत नहीं दी जा सकती है कि अख़बारों में छपी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय से चुराए गये दस्तावेज़ों पर आधारित थे। कोर्ट अब इन दस्तावेजों की जाँच-पड़ताल करके आगे की कार्रवाई तय करेगा। रफ़ाल विमान सौदों पर अंग्रेज़ी के दो बड़े अख़बारों 'द हिंदू' और 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने कई रिपोर्टें प्रकाशित कीं। इनमें कई गंभीर आरोप लगाये गये। इन रिपोर्टों में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय पर सबसे गंभीर आरोप यह है कि रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों की कमेटी को नज़रअंदाज़ करके सीधे रफ़ाल विमानों का सौदा किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के कारण रफ़ाल विमानों की क़ीमत बढ़ गयी और भारत में इन विमानों को बनाने का ठेका यानी ऑफ़सेट कॉन्ट्रैक्ट उद्योगपति अनिल अंबानी को मिल गया।