सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में ASI के वैज्ञानिक सर्वे में कोई रुकावट नहीं रही। वह चलता रहेगा। कोर्ट के अनुसार मुस्लिम पक्ष की यह आशंका बेबुनियाद है कि सर्वे का नतीजा उनके ख़िलाफ़ ही जाएगा- वह उनके हक़ में भी जा सकता है और उनके अपने पक्ष को मज़ूबत कर सकता है।
क्या सुप्रीम कोर्ट 1992 वाली ग़लती दोहरा रहा है?
- विचार
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- 6 Aug, 2023

उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत देश के किसी भी 'धर्मस्थल का चरित्र' बदला नहीं जा सकता है तो फिर ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे क्यों किया जा रहा है? मुक़दमे क्यों चल रहे हैं?
पहली नज़र में सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला न्यायसंगत लगता है लेकिन यदि इस सर्वे का संभावित परिणामों के बारे में सोचें तो वह बहुत-कुछ वैसा ही हो सकता है जैसा 1992 में अयोध्या में कार सेवा की अनुमति देने का बाद हुआ था।
ऐसा नहीं है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इंजिनियर अपने वैज्ञानिक सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद को ढहा देंगे। इसकी फ़िलहाल कोई आशंका नहीं है क्योंकि उनको मस्जिद पर एक कील ठोंकने की भी अनुमति नहीं है। ज़िला जज ने हालाँकि इसकी अनुमति दे दी थी लेकिन पहले हाई कोर्ट ने और अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि मस्जिद में किसी तरह की भी खुदाई नहीं होगी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश