वाह राज्यपाल जी वाह! सुना है कि महबूबा मुफ़्ती का फ़ैक्स आपको नहीं मिला! क्यों नहीं मिला? आपके यहाँ से बताया गया कि ईद-मीलादुन्नबी की छुट्टी थी. इसलिए फ़ैक्स मशीन पर कोई ऑपरेटर मौजूद ही नहीं था. हो सकता है कि फ़ैक्स आया हो शायद, लेकिन कोई देखने वाला नहीं था! अद्भुत! यानी हम मान लें कि अगर प्रधानमंत्री कार्यालय से या राष्ट्रपति भवन से भी कोई फ़ैक्स आपको भेजा जाता, तो वह आपको नहीं मिल पाता! 

आप ख़ुद ही सबूत दे रहे हैं कि कितनी कुशलता से आप राजभवन चला रहे होंगे! 

चलिए, पल भर के लिए मान लेते हैं कि आपका फ़ैक्स ऑपरेटर वाक़ई छुट्टी पर था. लेकिन महबूबा मुफ़्ती का तो कहना है कि वह लगातार राजभवन को फ़ैक्स भेजने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन फ़ैक्स वहाँ 'रिसीव' ही नहीं हो रहा था. 

समझ में नहीं आया कि इन दोनों बातों में से सही कौन-सी बात है? ऑपरेटर बैठा हो न हो, फ़ैक्स मशीन ठीक थी, तो फ़ैक्स पहुँचना चाहिए था, भले ही उसे वहाँ कोई देखने वाला हो या न हो. लेकिन फ़ैक्स मशीन ख़राब हो, तो फ़ैक्स पहुँचेगा ही नहीं। तो एक फ़ैक्स के चक्कर में जम्मू-कश्मीर में नयी सरकार बनते-बनते रह गई।