वाह राज्यपाल जी वाह! सुना है कि महबूबा मुफ़्ती का फ़ैक्स आपको नहीं मिला! क्यों नहीं मिला? आपके यहाँ से बताया गया कि ईद-मीलादुन्नबी की छुट्टी थी. इसलिए फ़ैक्स मशीन पर कोई ऑपरेटर मौजूद ही नहीं था. हो सकता है कि फ़ैक्स आया हो शायद, लेकिन कोई देखने वाला नहीं था! अद्भुत! यानी हम मान लें कि अगर प्रधानमंत्री कार्यालय से या राष्ट्रपति भवन से भी कोई फ़ैक्स आपको भेजा जाता, तो वह आपको नहीं मिल पाता!
आप ख़ुद ही सबूत दे रहे हैं कि कितनी कुशलता से आप राजभवन चला रहे होंगे!
चलिए, पल भर के लिए मान लेते हैं कि आपका फ़ैक्स ऑपरेटर वाक़ई छुट्टी पर था. लेकिन महबूबा मुफ़्ती का तो कहना है कि वह लगातार राजभवन को फ़ैक्स भेजने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन फ़ैक्स वहाँ 'रिसीव' ही नहीं हो रहा था.
समझ में नहीं आया कि इन दोनों बातों में से सही कौन-सी बात है? ऑपरेटर बैठा हो न हो, फ़ैक्स मशीन ठीक थी, तो फ़ैक्स पहुँचना चाहिए था, भले ही उसे वहाँ कोई देखने वाला हो या न हो. लेकिन फ़ैक्स मशीन ख़राब हो, तो फ़ैक्स पहुँचेगा ही नहीं। तो एक फ़ैक्स के चक्कर में जम्मू-कश्मीर में नयी सरकार बनते-बनते रह गई।
सत्यपाल का इंद्रजाल - न रहेगा फ़ैक्स, न बनेगी सरकार
- राजनीति
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- 22 Nov, 2018

अंग्रेज़ी की एक कविता है जिसके अनुसार घोड़े की 'नाल' टूट जाने से एक राजा की लड़ाई में हो गई हार। जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों जो घोड़े बिक रहे थे, उनकी नाल का तो पता नहीं, लेकिन सत्ता का 'माल' चखने की गरज़ से उनकी 'चाल' ज़रूर हो गई थी ख़राब। उन 'चालू' घोड़ों के बल पर ही राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने का बुना जा रहा था 'जाल'। उस जाल को काटने के लिए जब वहाँ की तीन पार्टियों ने मिल कर ठोकी 'ताल' तो राज्य'पाल' ने चली एक अनोखी 'चाल' जिसका नाम है - न रहेगा फ़ैक्स, न बनेगी सरकार।
स्वतंत्र स्तम्भकार. 38 साल से पत्रकारिता में. आठ साल तक (2004-12) टीवी टुडे नेटवर्क के चार चैनलों आज तक