प्रधानमंत्री म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी, यानी पीएमएमएल ने सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर सोनिया गाँधी से जवाहरलाल नेहरू से जुड़े तमाम काग़ज़ात माँगे हैं। पीएमएमएल ने कहा है कि 51 बक्सों में बंद ये काग़ज़ात 2008 में सोनिया गाँधी को सौंपे गये थे। इनमें जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे दिग्गजों को लिखे नेहरू के पत्र शामिल हैं। पीएमएमएल का कहना है कि ये पत्र शोध के लिए ज़रूरी हैं, देश की धरोहर हैं। इस मामले में सोनिया गाँधी की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आयी है लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह गाँधी परिवार पर हमले के सिलसिले की ताज़ा कड़ी है?
सोनिया से नेहरू के काग़ज़ात वापस माँगने का मतलब क्या है?
- विचार
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- 3 Apr, 2025

नेहरू के ख़त माँगना दरअसल उसी सिलसिले की ताज़ा कड़ी है जिसके तहत गाँधी परिवार का चरित्रहनन किया जाता है। बीजेपी और आरएसएस की ओर से इस परिवार के ख़िलाफ़ जैसा असत्य अभियान चला है उसकी मिसाल नहीं है।
प्रधानमंत्री म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी को 2022 के पहले नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी के रूप में जाना जाता था। यह दिल्ली के उसी तीन-मूर्ति भवन में स्थित है जहाँ देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रहते थे। वे यहाँ आख़िरी साँस यानी 1964 तक रहे। तीन मूर्ति भवन आज़ादी की लड़ाई और आधुनिक भारत की नींव डालने वाले शख़्स की याद दिलाता है जिसने आज़ादी के लिए लगभग नौ साल जेल में बिताये थे। इसलिए नेहरू जी के निधन के बाद उनकी याद में एक संग्रहालय और लाइब्रेरी बनी। इस लाइब्रेरी में दुनिया भर से लोग शोध के लिए आते थे। इसकी लाइब्रेरी को बेहद समृद्ध माना जाता था। लेकिन भारत की हर समस्या के लिए नेहरू जी को दोषी ठहराने वाले पीएम मोदी को शायद यह पसंद नहीं आया। मोदी सरकार ने 2022 में इस म्यूज़ियम से नेहरू का नाम हटा दिया और इसे प्रधानमंत्री म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी यानी पीएमएमएल कर दिया। कहा गया कि इसमें नेहरू ही नहीं, सभी प्रधानमंत्रियों की यादें सहेजी जायेंगी।