क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में सामाजिक न्याय राजनीतिक अजेंडा बन पाएगा? सत्ताधारी दल और एनडीए के अन्य घटक दल सभी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी सामाजिक न्याय के मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने में विफल होती दिख रही है। यह तब कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में हमने सभी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय देने का संकल्प लिया था। इसके साथ ही साथ हमने अपने संविधान में अनुसूचित जाति व जनजाति, अल्पसंख्यक, महिलाओं व अन्य पिछड़ी जातियों को भारतीय संविधान के अनेक अनुच्छेदों के अन्तर्गत अनेक विशेषाधिकार देकर उन्हे सामाजिक न्याय देना सुनिश्चित किया। इस संदर्भ मे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164, 28, 29, 30, 46, 330, 332, 335, 340 उल्लेखनीय हैं।