श्रद्धा वालकर की हत्या की अत्यंत क्रूर और बर्बर घटना ने देश को हिला कर रख दिया है। इस तरह की अमानवीय हिंसा की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। कुछ इसी तरह का भयावह घटनाक्रम निर्भया और तंदूर मामलों में भी हुआ था। हाल में अभिजीत पाटीदार ने जबलपुर के एक रिसोर्ट में शिल्पा की गला काट कर हत्या कर दी और उसका वीडियो भी बनाया। राहुल द्वारा गुलशन की हत्या भी उतनी ही सिहरन पैदा करने वाली थी।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा में सांप्रदायिकता का तड़का
- विचार
- |
- |
- 25 Nov, 2022

श्रद्धा वालकर हत्याकांड मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया है और इसे लव जिहाद बताया जा रहा है। लव जिहाद शब्द को सांप्रदायिक ताकतों ने गढ़ा है। क्या आफताब के मुसलमान होने की वजह से इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया है?
श्रद्धा वालकर के मामले में चूँकि कथित हत्यारा अफताब (मुसलमान) है, अतः इसे लव जिहाद से जोड़ा जा रहा है। दरअसल इसका सम्बन्ध उन समस्याओं से हैं जिनका सामना अक्सर अंतर्धार्मिक विवाह करने वाली महिलाओं को करना पड़ता है।
जिन मामलों में अलग-अलग धर्मों के महिला और पुरुष परस्पर रिश्ते बनाते हैं, या लिव-इन में रहते हैं अथवा विवाह कर लेते हैं, उनमें से अधिकांश मामलों में माता-पिता, रिश्तेदारों और मित्रों की सहमति नहीं रहती। वे सब विद्रोही महिला से सम्बन्ध तोड़ लेते हैं। महिला निसहाय हो जाती है। ऐसे में पितृसत्तात्मक मानसिकता के चलते कई पुरुष महिलाओं के साथ मनमानी करने लगते हैं। वे हिंसक हो जाते हैं। ऐसा भारत में ही नहीं वरन पूरी दुनिया में होता है। महिलाओं का अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से कोई संपर्क नहीं रहता और वे किसी से मदद मांगने की स्थिति में नहीं रहतीं।