सितारे रोज़ टूटते हैं, आज आसमान टूटा है- कुछ दिन पहले यह वाक्य मित्र व्योमेश शुक्ल ने नृत्य गुरु बिरजू महाराज के देहावसान के बाद लिखा था। लेकिन लता मंगेशकर के निधन की व्याख्या के लिए शायद इससे सही कोई वाक्य सोचना मुश्किल है। वाकई संगीत का, सुरों का आसमान आज टूट गया है।
सत्तर साल से यह आवाज़ एक पर्यावरण की तरह हमारे ऊपर छाई हुई थी। वह हम माटी के पुतलों को सांस लेते मनुष्यों में बदलती थी। इस आवाज़ की संगत में हम पहचान पाते थे कि हमारे पास एक दिल है जो धड़कता है, प्रेम करता है, मायूस होता है, रिश्ते निभाता है, रिश्तों के लिए जान देता है, उदास होता है, उदासी से उबरता है, अपने देश को जानता है, अपनी दुनिया को पहचानता है और ख़ुद को उस आवाज़ में बहने के लिए छोड़ देता है।
उन्होंने हम माटी के पुतलों को सांस लेते मनुष्यों में बदला
- विचार
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- 29 Mar, 2025

लता मंगेशकर ने कैसे आम आदमी की जिन्दगी में अपनी जगह बनाई। जानिए इस लेख से