प्रजातान्त्रिक-धर्मनिरपेक्ष भारत के इतिहास में पहली बार नागपुर के 'राष्ट्र-संत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय' के पाठ्यक्रम में आरएसएस का अध्ययन शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार बी.ए. (इतिहास द्वितीय वर्ष) के कोर्स 'भारत का इतिहास (1885-1947)' में से ‘भारत में साम्प्रदायिकता का उदय और विकास’ हटा कर 'राष्ट्र निर्माण में आरएसएस की हिस्सेदारी' के अध्ययन को शामिल किया गया है। यह परिवर्तन क्यों किया गया इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
RSS का इतिहास पार्ट 1- संघ ने क्यों नहीं लिया आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा?
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- 10 Jul, 2019

नागपुर विश्वविद्यालय ने इतिहास के सिलेबस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक को पढ़ाने का फ़ैसला किया है। 'राष्ट्र निर्माण में आरएसएस' की भूमिका को बी. ए, द्वितीय वर्ष में शामिल किया गया है। हक़ीकत यह है कि आरएसएस ने आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था, जब आज़ादी के दीवाने डंडा-गोली खा रहे थे, संघ के लोग घरों में बैठे थे। क्या ये बातें भी पढाई जाएँगी? पढ़िए इस सीरीज का पहला हिस्सा।