पंजाब में इस वक़्त यह चर्चा भी चल रही है कि ‘पीपुल्स महाराज’ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने क्या जनता का समर्थन भी खो दिया है? ‘पीपुल्स महाराजा’ खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह की बायोग्राफ़ी का शीर्षक है। पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 80 में से 78 विधायकों का शामिल होना क्या इस बात का संकेत माना जा सकता है कि अब विधायक या जनता उनके साथ नहीं हैं? क्या अब कैप्टन इतना अपमानित होने के बाद भी कांग्रेस में रहेंगे? उस प्रदेश अध्यक्ष के साथ जिनकी वजह से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी या फिर क्या अब वे उस कांग्रेस आलाकमान का आदेश मानेंगे जिनके साथ उनके 50 साल से ज़्यादा पुराने रिश्ते रहे हैं।
कैप्टन को बीजेपी में लाने के लिये RSS ने दी हरी झंडी!
- विचार
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- 20 Sep, 2021

संघ हाईकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह के फौजी इतिहास और उनके पटियाला राजघराने से रिश्ते को अहम मानता है और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया घराने की तरह का सम्मान देता है। आरएसएस कैप्टन अमरिंदर को राष्ट्रवादी ताक़तों में जोड़ कर देखता है।
राजीव गांधी सबसे पहले उन्हें कांग्रेस में लाए थे, और उनके कहने पर 1977 में पटियाला से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए। फिर 1980 में वहीं से सांसद बने मगर 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में कांग्रेस छोड़ दी और अकाली दल में शामिल हो गए। बाद में अकाली दल भी छोड़ कर खुद की पार्टी बनाई।