प्रिय रोहित,जिस सड़ांध को छोड़कर तुम सितारों की सैर पर गए वह सड़ांध अब और ज्यादा बदबूदार हो गई है। शैक्षणिक संस्थानों के बड़े बड़े दरवाजे अब दलित, आदिवासी, पिछड़े- वंचितों के लिए अधिक संकीर्ण हो चले हैं। इन स्थानों पर संवाद के लिए जगह दिन-ब-दिन सिकुड़ रही है। हां, सदियों तक कमजोरों और सामाजिक रुप से वंचितों को जिस अफीम के नशे में सुलाया जाता रहा, वह जरूर बढ़ता जा रहा है। अपने हक-हुकूक के लिए तनी मुट्ठियाँ और बुलंद आवाजों को दबाने के लिए तमाम संस्थान वही कर रहे हैं, जो तुम्हारे साथ सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैदराबाद ने किया था।
एक चिट्ठी रोहित वेमुला के नाम...
- विचार
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- 18 Jan, 2023
रोहित वेमुला हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन जिन मुद्दों पर उन्हें अपनी कुर्बानी देना पड़ी वो मुद्दे आज भी मौजूद हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत ने रोहित वेमुला के मुद्दों को रेखांकित करते हुए रोहित को ही एक पत्र लिख डाला है। यह पत्र मात्र एक प्रतीक है, असल हैं वे मुद्दे जो रोहित वेमुला के हैं और सभी के हैं - स्वतंत्र चेतना खतरे में है। पढ़िए पूरा लेखः
