राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने 29, जनवरी 1925 को 'यंग इंडिया' में लिखा था- 'वास्तविक स्वराज कुछ लोगों के द्वारा सत्ता की शक्ति हासिल कर लेने से नहीं आएगा, बल्कि वास्तविक स्वराज सारी जनता द्वारा वह शक्ति हासिल करने से आएगा जिसके द्वारा वह सत्ता की शक्ति का दुरुपयोग होने का विरोध कर सके और उसे रोक भी सके। स्वराज के लिए जनता को शिक्षित करना होगा, ताकि वह सत्ताधीशों को नियंत्रित करने की अपनी ताक़त को पहचान ले।'