अब से लगभग 60 साल पहले जब मैं प्रसिद्ध फ्रांसीसी विचारक पियरे जोजफ प्रोधों को पढ़ रहा था तो उनके एक वाक्य ने मुझे चौंका दिया था। वह वाक्य था- ‘सारी संपत्ति चोरी का माल होती है।’ दूसरे शब्दों में सभी धनवान चोर-डकैत हैं।
कैसे ख़त्म होगी अमीर और गरीब के बीच की खाई?
- विचार
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- 15 Dec, 2021

इस समय दुनिया में जितनी भी कुल संपत्ति है, उसका सिर्फ 2 प्रतिशत हिस्सा 50 प्रतिशत लोगों के पास है जबकि 10 प्रतिशत अमीरों के पास 76 प्रतिशत हिस्सा है। यदि दुनिया की कुल आय सब लोगों को बराबर-बराबर बांट दी जाए तो हर आदमी लखपति बन जाएगा।
यह कैसे हो सकता है, ऐसा मैं सोचता था लेकिन अब जबकि दुनिया में मैं गरीब और अमीर की खाई देखता हूं तो मुझे लगता है कि उस फ्रांसीसी अराजकतावादी विचारक की बात में कुछ न कुछ सच्चाई जरुर है।
कार्ल मार्क्स के ‘दास कैपिटल’ और विशेष तौर से ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ को पढ़ते हुए मैंने आखिर में यह वाक्य भी देखा कि ‘‘मजदूरों के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, सिर्फ उनकी जंजीरों के अलावा।’’ अब इन दोनों वाक्यों का पूरा अर्थ समझ में तब आने लगता है, जब हम दुनिया के अमीर और गरीब देशों और लोगों के बारे में गंभीरता से सोचने लगते हैं।