यूरोपीय संघ की संसद में अब भारत की डटकर भर्त्सना होनेवाली है। उसके 751 सदस्यों में से 600 से भी ज्यादा ने, जो प्रस्ताव यूरोपीय संसद में रखे हैं, उनमें हमारे नागरिकता संशोधन क़ानून और कश्मीर के पूर्ण विलय की कड़ी आलोचना की गई है। जिन सांसदों ने इस क़ानून को भारत का आतंरिक मामला माना है और भारत की भर्त्सना नहीं की है, उन्होंने भी अपने प्रस्ताव में कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों में धार्मिक भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।