यूरोपीय संघ की संसद में अब भारत की डटकर भर्त्सना होनेवाली है। उसके 751 सदस्यों में से 600 से भी ज्यादा ने, जो प्रस्ताव यूरोपीय संसद में रखे हैं, उनमें हमारे नागरिकता संशोधन क़ानून और कश्मीर के पूर्ण विलय की कड़ी आलोचना की गई है। जिन सांसदों ने इस क़ानून को भारत का आतंरिक मामला माना है और भारत की भर्त्सना नहीं की है, उन्होंने भी अपने प्रस्ताव में कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों में धार्मिक भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
नागरिकता क़ानून: यूरोपीय देशों से संबंध ख़राब होने का डर!
- विचार
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- 29 Jan, 2020

यूरोपीय संघ की संसद में लाये गये प्रस्तावों में नागरिकता क़ानून और कश्मीर के पूर्ण विलय की कड़ी आलोचना की गई है। इस समय यूरोपीय देशों के साथ भारत का व्यापार सबसे ज्यादा है। मार्च में भारत और यूरोपीय संघ की शिखर बैठक होने वाली है। कहीं ऐसा नहीं हो कि दोनों के बीच ये प्रस्ताव अड़ंगा बन जाएं। इससे दोनों पक्षों को काफी नुक़सान हो सकता है।