आजकल हिन्दी का मौसम चल रहा है। सरकारी दफ़्तरों और बहुत से ग़ैर सरकारी आयोजनों के बाहर हिन्दी सप्ताह मनाए जाने के पोस्टर, बैनर लगे हुए हैं। मानो हिन्दी कोई त्यौहार या मौसम हो या फिर आजकल के ज़माने की मार्केटिंग का हिस्सा होते हुए ‘ऑफ़ सीजन सेल’ का मौसम हो।
हिंदी राष्ट्रभाषा कब बनेगी?
- विचार
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- 7 Sep, 2021

एक सच यह भी है कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की लड़ाई या उसे लोकप्रिय बनाने का ज़्यादातर काम ग़ैर-हिन्दी भाषी नेताओं ने किया है। इनमें महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, राजगोपालाचारी और रवीन्द्र नाथ टेगौर जैसे लोग शामिल हैं।
सितम्बर आते-आते हिन्दी की याद सताने लगती है। सरकारी समारोहों का सिलसिला शुरू होता है। इसके लिए सरकारी दफ़्तरों में बैठे अंग्रेज़ी दा अफसर, जिन्हें हिन्दी बोलने वालों की गंध भी नहीं सुहाती, वो अपने नीचे बैठे अफ़सर को अंग्रेजी में एक नोट बना कर उस हिसाब से कार्यक्रम बनाने के आदेश देते हैं, फिर ज़्यादातर कार्यक्रमों में सरकारी मदद नहीं मिलने या कमज़ोरी और दूसरे बहाने गिनाए जाने लगते हैं।
ऐसे मौक़े पर बहुत से हिन्दी विशेषज्ञ और लेखक भी उग आते हैं, जो ज़्यादातर कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते हैं और फिर जैसे तैसे यह सप्ताह 14 सितम्बर को ख़त्म हो जाता है। अगले साल तक हिन्दी की फ़ाइल को बंद करके रख दिया जाता है।