रामनवमी पर जिस तरह की फिजां देश में बनीं, वैसी पहले कभी देखी-सुनी नहीं गयी। हर घटना एक जैसी। हर हंगामा मसजिद के पास। उकसावे और पथराव। खास क़िस्म के डीजे, खास क़िस्म के नारे। पुलिस वास्तव में दिखकर भी नहीं दिखी। मौजूद रहकर भी गायब रही। जो हुआ, होने दिया गया। जिनके बाजुओं में जितना था दम, उन्होंने उतना किया सितम।
नवरात्र से रामनवमी तक- आख़िर क्यों मूक दर्शक बनी रही पुलिस?
- विचार
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- 13 Apr, 2022

नवरात्र से लेकर रामनवमी तक देश के कई राज्यों में हिंसा की ख़बरें क्यों आईं और वह भी तब जब कई मामलों में तो पुलिस भी मौजूद नज़र आई? प्रशासन की मौजूदगी में ऐसा क्यों हुआ?
देश के 10 राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ हुईं। दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीगसढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार और कर्नाटक पथराव, आगजनी, मारपीट की घटनाओं के गवाह बने। बिहार के मुजफ्फरपुर में मसजिद पर भगवा लहरा दिया गया। यूपी के जौनपुर और इससे पहले गाजीपुर में भी ऐसा ही हुआ।