रामनवमी पर जिस तरह की फिजां देश में बनीं, वैसी पहले कभी देखी-सुनी नहीं गयी। हर घटना एक जैसी। हर हंगामा मसजिद के पास। उकसावे और पथराव। खास क़िस्म के डीजे, खास क़िस्म के नारे। पुलिस वास्तव में दिखकर भी नहीं दिखी। मौजूद रहकर भी गायब रही। जो हुआ, होने दिया गया। जिनके बाजुओं में जितना था दम, उन्होंने उतना किया सितम।