राहुल गांधी ने उन्नाव की घटना के माध्यम से जो संदेश दलित समाज को देने की कोशिश की, वह बेशकीमती है। लेकिन, उससे बेशकीमती है दलितों के लिए रोडमैप जिसे लेकर राहुल सामने नहीं आए। हालांकि राहुल गांधी के संदेश का महत्व तब तक बना रहेगा जब तक कि दलित समाज के लोग इस भावना से ऊपर नहीं उठ जाते कि उन पर जुल्म करने वालों पर जवाबी हमला करने की परिणति दलित समाज में ही पुनर्जन्म तय है।
राहुलजी! दलितों की चिंता से ज्यादा रोडमैप है जरूरी
- विचार
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- 11 Apr, 2022

‘द दलित ट्रुथ’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर राहुल गांधी ने दलित समाज की चिंता को तो सामने रखा लेकिन कोई रोड मैप देने में वह कामयाब नहीं दिखे।
बात को सही संदर्भ में समझने के लिए उस उदाहरण पर गौर करना जरूरी है जो राहुल गांधी ने सामने रखा है। उन्नाव की घटना में दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है। राहुल गांधी पीड़ित के पिता से मिलते हैं। उनके कंपकंपाते हाथ थामते हैं। बात-बात में प्रतिक्रिया समझते हैं। पीड़ित के पिता बताते हैं कि जो हुआ वो बुरा हुआ, लेकिन उन्हें अच्छा भी लगा कि दलित समाज के लोगों में प्रतिक्रिया हुई।
राहुल तब चौंक जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि माब लिंचिंग की इस घटना की प्रतिक्रिया में 12 लोगों ने इन्सेक्टिसाइड पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की है। वे इस बात से भी चौंक जाते हैं कि ऐसी प्रतिक्रिया से पीड़ित के पिता को खुशी हो रही है!