उत्तर प्रदेश और बिहार में "रामचरितमानस" को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है उसके पीछे 2024 के लोक सभा चुनावों की पेश बंदी साफ़ दिखाई देने लगी है। दोनों राज्यों में पिछड़ों के नेतृत्व वाली पार्टियों के कुछ नेता तुलसी दास लिखित "मानस" की कुछ चौपाइयों को आदिवासी, दलित और पिछड़ों के लिए अपमानजनक बता रहे हैं। इस विवाद के ज़रिए दलितों और पिछड़ों को एक करने की कोशिश साफ़ दिखाई दे रही है। यह विवाद जाति जनगणना के पीछे छिपी राजनीति की अगली कड़ी भी है।