देश में सदियों से भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के पर्व राम नवमी का उत्सव मनाया जाता है। मैं भी बचपन से हर साल रामनवमी के दिन घर में पूजा होते देखता रहा हूँ। संयोग से चैत्र के नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन ही रामनवमी का पर्व होता है इसलिए पहले देवी पूजा और कन्या भोज के साथ हवन होता है फिर दोपहर 12 बजे राम जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन जैसी रामनवमी इस साल हुई है वैसी मेरी स्मृति में कभी भी नहीं हुई। जिस तरह दिल्ली में जेएनयू से लेकर देश के चार राज्यों में रामनवमी के दिन सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ हुईं वह सिर्फ़ चौंकाती ही नहीं हैं बल्कि यह संकेत भी देती हैं कि देश का वातावरण किस कदर उन्मादी और विषाक्त होता जा रहा है।
इस बार जैसी रामनवमी कभी नहीं हुई; आख़िर अब ऐसा क्या बदला?
- विचार
- |
- |
- 12 Apr, 2022

भारत बहु-धर्मी, बहु-जातीय, बहु-नस्लीय बहु-भाषीय और बहु-क्षेत्रीय विविधता वाला ऐसा देश है जिसे दुनिया आश्चर्य से देखती है और यही भारत की पहचान है। भारत की पहचान भारतीयता से ही है किसी धर्म या जाति या वर्ग या नस्ल या रंग विशेष से नहीं है।