राम माधव हाल तक बीजेपी के ताकतवर महासचिव माने जाते थे। कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में बीजेपी की कमान सँभालते थे। जेपी नड्डा की नई टीम में उन्हें जगह नहीं मिली है। बीजेपी में आने से पहले माधव लंबे समय तक आरएसएस का चेहरा थे। संगठन के प्रवक्ता का पद उन्हें हासिल था। बाद में उन्हें बीजेपी में भेज दिया गया।

राम माधव किसी दल, सरकार और नेता का ज़िक्र नहीं करते। लेकिन आसानी से समझा जा सकता है कि वो कहाँ पर निशाना लगा रहे हैं। कौन सी पार्टी सरकार के सामने पूरी तरह से बिछ गयी है। और वो कौन सा नेता है जिसके सत्ता में आगमन के बाद और पहले भी प्रतिद्वंद्वियों को ठिकाने लगा दिया गया, हाशिये पर फेंक दिया गया या फिर उनकी ज़रूरत पूरी तरह से ख़त्म कर दी गयी, उन्हें शक्तिहीन कर दिया गया।
राम माधव सरकार में तो नहीं थे लेकिन किसी भी मंत्री से ज़्यादा ताकतवर थे। इन दिनों संगठन के कार्यों से मुक्त होने के बाद ख़ाली हैं तो उन्होंने एक लेख लिखा है। ये लेख महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौक़े पर लिखा गया है और इसमें गांधी की तारीफ में पुल बांधे गये हैं।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।