“सूरदास तब बिहंसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो”- सूरदास की इस मशहूर काव्यपंक्ति का अर्थ कोई अगर इस तरह करे कि ‘सूरदास ने तब हँसते हुए यशोदा को गले लगा लिया’ तो या तो वह मूर्ख होगा या पक्का बदमाश। ऐसी मूर्खता कोई बच्चा कर सकता है, लेकिन अगर साहित्य का जानकार ऐसा करें तो ये बदनीयती का ही सबूत माना जाएगा।