इतिहास हर व्यक्ति को जीवन में हमेशा एक मौक़ा ऐसा देता है जब आप एक साधारण व्यक्ति से ऊपर उठकर उन लोगों में अपना स्थान बना लेते हैं जिनको उनके त्याग और तपस्या के लिए समूचा संसार याद रखता है। वो पल ही निर्णय करता है कि आप भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास के उस स्वर्णिम पन्नों में अपने उच्चतम त्याग के लिए कैसे रेखांकित और कलमबद्ध किए जाएँगे। साल 2020 में इतिहास ने फिर से एक वकील के दरवाज़े पर दस्तक देकर कहा है कि समय आपको इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज करने के लिए आमंत्रित कर रहा है। यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज से क़रीब 100 साल पहले 1922 में ग़ुलाम भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को लिखने के कारण जो आरोप और दोषारोपण झेलने पड़े, वो ही आरोप और दोषारोपण आज मानवाधिकार के मामलों के लिए पिछले तीन दशक से लड़ाई लड़ रहे वकील प्रशांत भूषण को भी झेलने पड़ रहे हैं।