क्या कांग्रेस में सबकुछ ठीक ठाक है या फिर पार्टी फिर किसी उथल-पुथल के दौर से गुज़रने वाली है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लंबे समय से पार्टी के भीतर चली आ रही ख़ामोशी अब टूटने लगी है। हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनसे अंदेशा होने लगा है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। अंदर-अंदर सुलग रही चिंगारियाँ अब विस्फोटक होने लगी हैं।
शनिवार को कांग्रेस में दो महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। ये साफ़ इशारा करती हैं कि कांग्रेस फिर किसी तूफ़ान से गुज़रने वाली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने उन नेताओं को पार्टी छोड़ने की चुनौती दी जो कांग्रेस में रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ लगातार हमलावर राहुल गाँधी के समर्थन में आगे नहीं आते हैं। बता दें कि राहुल गाँधी केंद्र में मोदी सरकार ख़ास कर पीएम मोदी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं और यूपी में प्रियंका गाँधी वाड्रा ने योगी सरकार के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख़ अपना रखे हैं।
I personally support the aggressive stand which Rahul ji and Priyanka ji are taking on issues of National interest in India and UP. If this is not appreciated by some leaders in Congress then why are they in Congress? I
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 11, 2020
कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं का एक बड़ा तबक़ा मानता है कि राहुल और प्रियंका को मोदी-योगी के ख़िलाफ़ निजी हमलों से बचना चाहिए। दिग्वियज सिंह का ताज़ा बयान ऐसे नेताओं को खुली चुनौती माना जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने राहुल और प्रियंका गाँधी का पुरज़ोर समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों को केंद्र में राहुल गाँधी और यूपी में जनता के मसलों को जिस आक्रामक तरीक़े से प्रियंका गाँधी उठा रही हैं, उसका वो पूरी तरह से समर्थन करते हैं। दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया है कि इनकी सराहना नहीं करने वाले अभी तक कांग्रेस में क्यों बने हुए हैं?
दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर एक पोस्ट लिखकर यह बात कही। दिग्विजय की इस पोस्ट को राहुल गाँधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के हक़ में बैटिंग माना जा रहा है। कांग्रेस में काफ़ी समय से यह चर्चा चल रही है कि राहुल गाँधी को बतौर अध्यक्ष फिर कांग्रेस की कमान सौंपी जाए। कांग्रेस के ज़्यादातर वरिष्ठ नेता इसी हक़ में हैं। वैसे भी राहुल गाँधी ही पार्टी में बड़े फ़ैसले कर रहे हैं। इसलिए कांग्रेस के ज़्यादातर नेताओं का मानना है कि राहुल गाँधी को ही फिर से पार्टी की कमान संभालनी चाहिए।
दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट से पहले कांग्रेस में लंबे समय के बाद राहुल गाँधी को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनाने की औपचारिक रूप से माँग हुई। वो भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल की गाँधी की मौजूदगी में। दरअसल, शनिवार की सुबह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पार्टी सांसदों के साथ कोरोना महामारी और देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा कर रही थीं।
बैठक के दौरान कई सांसदों ने यह माँग की कि राहुल गाँधी को फिर से पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। ज़ूम ऐप पर चल रही इस वर्चुअल बैठक में राहुल गाँधी समेत लगभग सभी कांग्रेस सांसद सोनिया गाँधी से मुख़ातिब थे।
इस बैठक में के सुरेश, एंटो एंटनी, मणिकम टैगोर, अब्दुल ख़ालिक, गौरव गोगोई और कुछ अन्य सांसदों ने राहुल गाँधी से आग्रह किया कि वह फिर से पार्टी की कमान संभालें। पिछले कुछ दिनों से पार्टी के अंदर राहुल गाँधी को कमान सौंपने की बार-बार माँग उठ रही है।
हाल ही में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी यह माँग उठाई थी। इसके बाद कई अन्य नेताओं ने भी उनकी इस माँग का समर्थन किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि अब राहुल गाँधी को फिर से कांग्रेस का नेतृत्व संभालना चाहिए।
इसी बैठक के बाद दिग्विजय फिर राहुल के समर्थन में उतरे। उन्होंने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि राहुल गाँधी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी 2019 में मोदी को मुख्य रूप से चुनौती देने वाले नेता के रूप में उभरे हैं। उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष या लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता के रूप में पार्टी को मज़बूत बनाने का कार्य जारी रखना चाहिए था। वह स्वेच्छा से पूरी तसवीर से पीछे क्यों हट गए? दिग्विजय की इन बातों से साफ़ लगता है कि वो ख़ुद राहुल गाँधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मुहिम की अगुवाई कर रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस में मोटे तौर पर दो धड़े हैं। एक धड़ा गाँधी-नेहरू परिवार यानी मौजूदा समय में सोनिया-राहुल-प्रियंका का वफ़ादार माना जाता है। जबकि एक धड़ा पार्टी को इस परिवार के वर्चस्व से बाहर लाने का हिमायती है।
लेकिन वो खुलकर ये बात नहीं करते। सिर्फ़ दबी ज़ुबान में ही करते हैं। वो भी बंद कमरों में। लेकिन दीवारों के भी कान होते हैं। इनकी बातें सुन ली जाती हैं। वो बातें दस जनपथ तक पहुँचती हैं। फिर 12ए तुग़लक लेन तक पहुँचती हैं। फिर वहाँ से निकले फरमान से उन नेताओं के पर कतर दिए जाते हैं। इसलिए विरोधी नेता मुँह बंद रखना ही बेहतर समझते हैं।
दिग्विजय की बातों से लगता है कि राहुल गाँधी तो फिर से अध्यक्ष बनना चाहते हैं। उनको अध्यक्ष बनाए जान के हक़ में पार्टी के तमाम उपसंगठनों का सर्वसम्मति से पास किया गया प्रस्ताव भी है। लेकिन राहुल और उनके समर्थकों को डर है कि भितरघाती राहुल के ग़ुब्बारे की फिर से हवा निकालने से नहीं चूकेंगे। बता दें कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्होंने शर्त रखी थी कि पार्टी उन्हें, उनकी माँ सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी को छोड़कर किसी और को पार्टी का नया अध्यक्ष चुन ले।
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