भारत के प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में कहा है कि पुलिस थाने मानव अधिकारों और गरिमा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं। एक अदालती सुनवाई में उन्होंने दुबारा कहा कि पुलिस और सीबीआई न्यायाधीशों की शिकायतों का जवाब नहीं देते हैं। यदि भारतीय न्यायिक प्रणाली के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के ऐसे अनुभव हैं तो आम नागरिकों के बारे में क्या कहा जा सकता है?