भारत के प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में कहा है कि पुलिस थाने मानव अधिकारों और गरिमा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं। एक अदालती सुनवाई में उन्होंने दुबारा कहा कि पुलिस और सीबीआई न्यायाधीशों की शिकायतों का जवाब नहीं देते हैं। यदि भारतीय न्यायिक प्रणाली के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के ऐसे अनुभव हैं तो आम नागरिकों के बारे में क्या कहा जा सकता है?
योगी-शाह से उम्मीद थी कि वे पुलिस का बेजा इस्तेमाल रोकेंगे लेकिन...
- विचार
- |
- |
- 14 Aug, 2021

हक़ीक़त में स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है और नागरिकों पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई किए जाने का खतरा लगातार बना रहता है।
भारत के संविधान ने अपने नागरिकों से न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का वादा किया। इसने उन्हें व्यक्ति की गरिमा का भी आश्वासन दिया। संविधान की मूल आत्मा है नागरिकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना ताकि वे भारत को उसकी वांछित ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए सभी क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर सकें।
लेकिन हक़ीक़त में स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है और नागरिकों पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई किए जाने का खतरा लगातार बना रहता है।