सोशल मीडिया पर इन दिनों इतिहास को लेकर जंग फिर तेज़ हो रही है। एक के बाद एक पोस्ट के ज़रिए ये बताने की कोशिश की जा रही है कि अब तक जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है वो ग़लत है। यह भी कहा जा रहा है कि अब तक सारा इतिहास वामपंथियों ने लिखा है। और जान बूझ कर असलियत को छिपाया जाता रहा है। धर्म निरपेक्ष वामपंथी इतिहास को नकार कर हिंदू नज़रिए से इतिहास को समझने की कोशिश भी हो रही है।

बीजेपी के कई प्रमुख नेता कांग्रेस राज में वामपंथियों द्वारा लिखे इतिहास पर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया और भाषणों के आगे नए सिरे से इतिहास लिखने की कोई ठोस कोशिश अब तक दिखाई नहीं पड़ी है। इसलिए लगता है कि ये सिर्फ़ चुनावी मुद्दा है।
इन पोस्टों को देख कर आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन्हें प्रसारित करने का काम बीजेपी और आरएसएस के अंध भक्त कर रहे हैं। वैसे तो वामपंथी इतिहासकारों को निशाने पर रखा जा रहा है लेकिन ग़ौर करने पर आसानी से यह बात सामने आती है असली निशाने पर नेहरु और उनका परिवार है। 2017 के लोकसभा चुनावों के बाद कुछ समय तक इस तरह की पोस्ट बहुत कम हो गई थीं लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव जैसे जैसे क़रीब आते जा रहे हैं वैसे वैसे इतिहास पर जंग भी तेज़ होती जा रही है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक