क्या इस परिदृश्य पर कोई आश्चर्य व्यक्त नहीं किया जाना चाहिए कि इतनी ज़बरदस्त एंटी-इंकम्बेंसी के होते हुए भी चुनावी सर्वेक्षणों में भाजपा को 2019 के चुनावों से भी अधिक सीटें प्राप्त होने के दावे प्रधानमंत्री के आत्मविश्वास और उनकी सभाओं में जमा होने वाली जनता के चेहरों पर नज़र नहीं आ रहे हैं! प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में आई कमी को चाहे जिस अज्ञात भय के चलते सर्वेक्षणकर्ता एजेंसियों द्वारा नहीं उजागर किया जा रहा हो, उन्हें इतना तो बताना ही पड़ रहा है कि राहुल गांधी का सफ़ेद बाल होता माथा मोदीजी के कंधों तक तो पहुँच ही गया है!
पीएम के कहे पर किस तरह यक़ीन किया जाए!
- विचार
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- 18 Apr, 2024

लोकप्रियता के मामले में क्या पीएम मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ और हिमन्त बिस्व सरमा के अलावा कोई और नाम भाजपा या एनडीए में मिल पाएगा?
हाल ही में प्रकाशित-प्रसारित CSDS-LOKNITI सर्वे के निष्कर्ष चाहे जितने अविश्वसनीय हों उसमें भी यह तो बताना ही पड़ा है कि प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी अगर 48 प्रतिशत लोगों की पसंद हैं तो राहुल को भी 27 प्रतिशत लोग पीएम पद पर देखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति पहले तो कभी नहीं रही! राहुल की पसंद के आँकड़े में अपने-अपने राज्यों में मोदी से ज़्यादा प्रसिद्ध विपक्षी गठबंधन के नेताओं (स्टालिन, ममता, उद्धव, अखिलेश, सोरेन, तेजस्वी, केजरीवाल, आदि) की लोकप्रियता के वे प्रतिशत भी जोड़े जा सकते हैं जो कि सर्वेक्षण में दिखाए गए हैं। ऐसा ही मोदी के मामले में भी किया जा सकता है! सवाल यह है कि लोकप्रियता के मामले में क्या योगी आदित्यनाथ और हिमन्त बिस्व सरमा के अलावा कोई और नाम भाजपा या एनडीए में मिल पाएगा?