आश्चर्य व्यक्त नहीं किया जाना चाहिए अगर हिमाचल और कर्नाटक की पराजयों से निराश हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) में लड़ाई तो विधानसभा चुनावों के लिए लड़ते दिखाई दे रहे हों पर अपने लिए रणनीतिक हथियारों का ज़ख़ीरा छह महीने बाद ही होने वाले लोकसभा के महासंग्राम के लिए जमा कर रहे हों! देश को पता है कि मोदी के लिए दोनों में ज़्यादा महत्वपूर्ण क्या है!
मोदी को मालूम है कि 2024 की लड़ाई बहुत मुश्किल होगी!
- विचार
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- 25 Oct, 2023

प्रधानमंत्री मोदी का विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार क्या धीमा पड़ गया है? विधानसभा चुनावों के लिए सांसदों को क्यों उतारा गया है? और क्या यह पीएम मोदी की 2024 के लिए रणनीति है?
अक्टूबर 1951 में अखिल भारतीय जनसंघ और अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद पहला अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की विधानसभा चुनाव की लड़ाई के लिए जबरन भर्ती की गई है। ‘जबरन’ इसलिए कि एक-दो को छोड़ इन सभी को लोकसभा चुनाव भी लड़ना पड़ सकता है। यानी छह महीनों में दो चुनाव लड़ने पड़ेंगे!