तेलंगाना के साथ संपन्न होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव नतीजे चाहे जैसे निकलें, एक बात तय मानकर चल सकते हैं कि तीन दिसंबर के तत्काल बाद प्रारंभ होने वाले लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान विपक्षी दलों (यहाँ गांधी परिवार ही पढ़ें) के ख़िलाफ़ सत्तारूढ़ दल भाजपा के हमलों की आक्रामकता पराकाष्ठा पर पहुँचने वाली है।
कांग्रेस से इतने नाराज़ क्यों नज़र आते हैं प्रधानमंत्री?
- विचार
- |
- |
- 27 Nov, 2023

विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री के भाषणों से क्या संदेश जाता है? जनता से जुड़े मुद्दों पर संवाद के ज़रिए पार्टी को जीत हासिल कराने की कोशिश या पराजय को किसी भी क़ीमत पर स्वीकार नहीं करने का भाव?
विधानसभा चुनावों में भाजपा के धुआँधार प्रचार के दौरान देश की जनता ने प्रधानमंत्री के भाषणों में कांग्रेस के प्रति जिस तरह के क्रोध और वैचारिक हिंसा से भरे शब्दों से साक्षात्कार किया उसे लोकसभा चुनावों की रिहर्सल भी माना जा सकता है। चुनावों में पड़े मतों की तीन दिसंबर को होने वाली गिनती में सत्तारूढ़ दल को अगर उसकी ‘अंदरूनी’ उम्मीदों के मुताबिक़ भी कामयाबी नहीं हासिल होती है तो पार्टी में व्याप्त होने वाली निराशा उसकी विभाजन की राजनीति की धार को और तेज कर सकती है।