अमित शाह के हवाले से जानकारी छपी है कि शिवराज सिंह (और वसुंधरा राजे) की आगामी भूमिका चुनावों के बाद तय होगी ! शिवराज एक अनुभवी राजनेता हैं। वे जानते हैं कि इस तरह के सवाल या तो किए जाएँगे या करवाए जाएँगे ! इसीलिए लगभग उसी दौरान जब 17 नवम्बर को मतदान प्रारंभ होने ही वाला था, शिवराज ने ‘मन की बात’ उजागर कर दी कि पार्टी जो भी ज़िम्मेदारी देगी स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। ‘निवृत्तमान’ मुख्यमंत्री को पता है कि पार्टी अगर जीत गई तो उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा और हार गई तो आलाकमान यानी प्रधानमंत्री उन्हें किन ज़रूरी कामों में लगा सकते हैं !
‘मेरा नाम शिवराज है’ यानी दिल्ली सुन ले, टाइगर अभी ज़िंदा है!
- विचार
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- 20 Nov, 2023
मध्य प्रदेश में भाजपा आई तो सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह अहम सवाल सत्ता के गलियारों में पूछा जा रहा है। ये सवाल दरअसल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ही देन है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान पर चर्चा स्वाभाविक है। मोदी-शाह मय भाजपा कुछ भी कर ले, शिवराज को राजनीतिक रूप से ठिकाने लगाना नामुमकिन है। 3 दिसंबर के बाद भाजपा की अंदरुनी राजनीति तेज होने की उम्मीद है।
