मतपत्रों की गिनती से मिले नतीजों पर मत जाइए कि भाजपा ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ अविश्वसनीय तरीक़े से छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस का सफ़ाया कर दिया है। ये नतीजे ‘असली’ नहीं हैं। ‘असली’ नतीजे यही हैं कि भाजपा पराजित हुई है। प्राप्त परिणाम बराबरी के मैदान पर ‘ईमानदारी’ से लड़े गए चुनावों के नहीं हैं जैसा कि 2018 में देखा गया था। इन चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया था और प्राणों की बाज़ी लगा दी थी। ख़ासकर मध्यप्रदेश और राजस्थान में।
‘कोप भवन’ से बाहर आकर तेलंगाना के लिए तालियाँ बजाए कांग्रेस!
- विचार
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- 4 Dec, 2023

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनावी नतीजों का क्या संदेश है? जानिए, कांग्रेस के लिए इसके क्या मायने हैं और बीजेपी के लिए क्या।
तेलंगाना के परिणाम भाजपा पहले से जानती थी। भाजपा की कोशिश तो बस केसीआर की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष मदद करके वहाँ किसी भी तरह कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने की थी। उसमें न तो उसे और न ही ओवैसी को सफलता मिली। मतदाताओं के बीच सांप्रदायिक ध्रूवीकरण कर देने की सारी कोशिशें विफल हो गईं। विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के राज्य तेलंगाना में हिंदू आबादी 85 प्रतिशत है। तीन राज्यों में हुई हार के बाद से कांग्रेस में इतना ज़्यादा मातम छाया हुआ है कि वह ‘कोप भवन’ से बाहर निकलकर तेलंगाना की ऐतिहासिक जीत पर तालियाँ ही नहीं बजाना चाहती। कल्पना कीजिये कि अगर तेलंगाना में भी भाजपा की योजना सफल हो जाती तो क्या होता?