बांग्लादेश के निर्माण के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कह कर सबको हैरान कर दिया कि ढाका की मुक्ति के सत्याग्रह में उन्होंने हिस्सा लिया था और इसके लिए वह जेल भी गए थे। हालाँकि प्रधानमंत्री के इस दावे पर भारत में लगातार सवाल खड़े होने शुरू हो गए, लेकिन यह मानना अतिरेक होगा कि जिस कार्यक्रम में ख़ुद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना वाजेद मौजूद थीं, वहाँ प्रधानमंत्री ने कोई ग़लतबयानी की होगी।
ढाका में प्रधानमंत्री के सत्याग्रह के दावे से उठते सवाल!
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- 28 Mar, 2021

बांग्लादेश के निर्माण के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कह कर सबको हैरान कर दिया कि ढाका की मुक्ति के सत्याग्रह में उन्होंने हिस्सा लिया था और इसके लिए वह जेल भी गए थे।
वैसे भी उनके समर्थक यह साबित करने वाली कुछ पुरानी कतरनें ले आए हैं कि 1971 के उन दिनों में जनसंघ ने बांग्लादेश को मान्यता दिलाने के सवाल पर सत्याग्रह किया था- बेशक, इस दौर में ऐसी किसी भी कतरन की प्रामाणिकता की पुष्टि के बिना उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
मगर हमें अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा करना चाहिए। निश्चय ही उन्होंने ऐसे किसी सत्याग्रह में हिस्सा लिया होगा, वरना इतनी बड़ी ग़लतबयानी वह नहीं करते। लेकिन इससे क्या होता है?