बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार के पहले दौर में हुई जनसभाओं में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाया गया धारा 370 की समाप्ति और कश्मीर का मसला कहीं भी सुगबुगाहट पैदा करता न दिखा तो मतदान के दिन उन्होंने अपनी दरभंगा की लगभग सूनी सभा में राम मंदिर और ‘जंगल राज का युवराज’ जैसे नए मुद्दे उछाले। नेता इस तरह कई मुद्दे उछालकर जनता का मूड टटोलते हैं और जो बात कुछ जमीन पकड़ती है उसे आगे बढ़ाते चलते हैं।
बिहार: लालू और नीतीश के जंगल राज के बीच लड़ाई!
- विचार
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- 30 Oct, 2020

कहा जा रहा है कि बड़ी कुशलता से महागठबंधन बनाने, अपने नेतृत्व पर मोहर लगवाने के बाद तेजस्वी ने जिस तरह से चुनाव का एजेंडा बदला है और खुद उनकी सभाओं में नौजवानों की जैसी भीड़ उमड़ी है उसके बाद काफी सारे लोगों को फिर से जंगल राज याद आने लगा है। ऐसा ‘काउंटर रिएक्शन’ चुनाव में अनजान नहीं है। बीजेपी और संघ परिवार ऐसा रिएक्शन कराने में उस्ताद हैं।
दरभंगा की सभा में भीड़ नहीं थी और मोदी जी का भाषण बहुत छोटा था। इसमें से राम मंदिर पर तो कोई सुगबुगाहट नहीं हुई लेकिन जंगलराज की बात मीडिया और बिहार की राजनैतिक चर्चा में जिस तरह आई वह उनकी समझ और ‘कोर्स करेक्शन’ की क्षमता को बताती है।