चुनाव और जाति का रिश्ता हमारे लोकतंत्र का एक अखिल भारतीय ‘गुण’ है, लेकिन राजनैतिक मामलों में अगुआ माने जाने वाले बिहार को इस मामले में बाकी मुल्क़ से चार कदम आगे माना जाता है। पर जो लोग दो और दो चार के हिसाब से जातियों के आँकड़े और उम्मीदवारों की जाति तथा पार्टियों-नेताओं के साथ जातीय गोलबन्दियों का हिसाब किताब लगाने पहुँच रहे हैं, बिहार उनको निराश कर रहा है।