प्रतिपक्ष की संसदीय भूमिका को लेकर किसी भी प्रधानमंत्री के लिए अपशब्द कहना शोभाजनक नहीं है। लेकिन, वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने विपक्ष के प्रति सम्मानजनक शब्दों के प्रयोग से दूरी बनाये रखने का संकल्प-सा ले रखा है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही प्रतिपक्ष ने दोनों सदनों में सिर्फ चर्चा की मांग की थी। लेकिन, मोदी जी ने उसे ठुकराते हुए फैसला दे दिया, ”नकारे गए लोग गुंडागर्दी कर रहे हैं।” यह मोदी -उवाच प्रधानमंत्री पद की गरिमा को लजानेवाला है। हांलाकि, वे अपनी चुनावी सभाओं में इससे भी लज्जाजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए कुख्याति अर्जित कर चुके हैं। उनके अशोभनीय चुनावी -उवाचों को यहां दोहराने की ज़रूरत नहीं है। उनकी भाषण शैली से अपभाषाण -संस्कृति की गंध आती है। लेकिन, उनके ताज़ा उवाच पर कुछ याद दिलाने की दरकार है।
मोदी जी, अपने गिरेबाँ में झांकें, इतिहास को याद रखें!
- विचार
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- 26 Nov, 2024

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही प्रतिपक्ष ने दोनों सदनों में सिर्फ चर्चा की मांग की थी। लेकिन पीएम मोदी की भाषा देखिए! उन्होंने उसे ठुकराते हुए फैसला दे दिया, ‘नकारे गए लोग गुंडागर्दी कर रहे हैं’।
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि विपक्ष को जनता ने 80 -90 बार नकार दिया है। अब उन्हें स्वयं के दल को नकारे जाने के दिन याद करने चाहिए। क्या उन्हें याद नहीं है कि 2004 के चुनावों में अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व ने भाजपा के विशाल गठबंधन ने चुनाव लड़ा था; इंडिया शाइनिंग और फील गुड फैक्टर के गगनभेदी नारों के साथ चुनाव लड़ा था। जनता ने उसे एक ही झटके में नकार दिया था। इसके बाद 2009 के चुनावों में भी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को नकार दिया गया था। 2014 में भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद मोदी जी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे को उछाला था।लेकिन, 2024 के चुनावों में भाजपा 303 सीटों से धड़ाम के साथ नीचे गिर कर 240 पर सिमट गई और आज वे दूसरों की बैसाखियों के सहारे सत्ता पर काबिज़ हैं। जबकि, कांग्रेस 44 से 100 तक पहुँच गई। अब प्रतिपक्ष के विधिवत नेता राहुल गांधी हैं। प्रतिपक्ष की तगड़ी उपस्थिति है। क्या यह माना जाए कि जून के चुनावों में जनता ने भाजपा को नकार दिया था?