कश्मीर एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा में है। कश्मीर में बहुत बड़े पैमाने पर राजनीतिक बदलाव कर दिए गए हैं। इस बात में दो राय नहीं है कि कश्मीर में जो भी हालात हैं उसके लिए केवल पाकिस्तान की फ़ौज ज़िम्मेदार है। बांग्लादेश में बुरी तरह से हारने के बाद से ही पाकिस्तान की सेना भारत से बदला लेने के लिए तड़प रही है।
अनुच्छेद 370: क्या शांति बहाल कर पाएगी मोदी सरकार?
- विचार
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- 13 Aug, 2019

संविधान का अनुच्छेद 370 ख़त्म कर दिया गया है, कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया है और पाकिस्तान को आगाह कर दिया गया है। सबकी निगाह इस बात पर लगी है कि क्या कश्मीरियत बहाल होगी, क्या कश्मीर में हालत सामान्य होंगे और क्या फिर से वादी-ए-कश्मीर जन्नत बन पायेगी।
जब भुट्टो को बेदख़ल करके जनरल जिया-उल-हक़ ने पाकिस्तान की सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाया तो यह काम तुरंत शुरू हो गया। फ़ौज को मालूम था कि भारत को आमने-सामने की लड़ाई में तो कोई नुक़सान नहीं पहुँचाया जा सकता है, लेकिन उसको अन्दर से कमज़ोर करने की प्रॉक्सी युद्ध की रणनीति पर काम किया जा सकता है। इसी नीति के तहत कश्मीर और पंजाब में साम्प्रदायिक आधार पर मतभेद पैदा करने की कोशिश शुरू हो गयी थी। उसी दौर में देश के मुसलिम बहुल इलाक़ों में पाकिस्तानी आईएसआई ने बेकार नौजवानों को थोड़ा बहुत आर्थिक मदद करके सिमी आदि संगठनों में भर्ती कर लिया था।
जनरल जिया ने पाकिस्तान में फ़ौज और धार्मिक अतिवादी गठजोड़ कायम किया जिसका ख़ामियाज़ा पाकिस्तानी समाज और राजनीति आज तक झेल रहे हैं। पाकिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकवादी हाफ़िज़ सईद जनरल जिया की ही पैदावार है।