‘मुझे मालूम है, दो-तीन पेशेंट तीन चार घंटों में मर जायेंगे। आख़िरी साँस ले रहे हैं। आप अपने पेशेंट को चार पाँच बजे सुबह लेकर आइए। शायद बेड खाली मिल जाएगा। हम आपके पेशेंट को भर्ती कर लेंगे।’ लखनऊ के एक प्रतिष्ठित अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर से ये जवाब सुनकर मैं अवाक रह गया। डॉक्टर से कोरोना के एक गंभीर रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की बात हो रही थी। डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने वाले ज़्यादातर रोगियों को सिर्फ़ ऑक्सीजन की ज़रूरत है, लेकिन इसका कोई इंतज़ाम नहीं किया गया।