राजनीति पर लिखने का रत्ती भर मन नहीं है, क्योंकि इस समय राजनीति में जिसे देखो वो गाल बजाने पर आमादा है। अखिलेश यादव हों या उद्धव ठाकरे, या पंत प्रधान माननीय नरेंद्र मोदी। इसके मुंह में जो आ रहा है, सो बोले जा रहा है। जनता की कोई नहीं सुन रहा। ऐसे में अगर हम और आप भी मौन सिंह बने रहे तो देश का बंटाधार तय है। देश को बचाना है तो सभी को इन गाल बजाने वालों के बारे में बोलना ही होगा। गाल बजाना लोकतंत्र में जनता का सबसे बड़ा अपमान है।

विपक्ष मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग क्यों कर रहा है? क्या इससे हालात सुधर जाएँगे? आख़िर इसकी ज़रूरत क्यों है?
प्रगति मैदान दिल्ली में भारत मंडपम का भूमि पूजन करते हुए पंत प्रधान ने गाल बजाते हुए कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। पंत प्रधान के मुंह में घी-शक़्कर। ऐसा होना भी चाहिए लेकिन क्या ये सब मणिपुर को जलाकर और देश में संवैधानिक संस्थाओं का खात्मा करने की कीमत पर होगा? पंत प्रधान देश और दुनिया के एक बड़े नेता हैं लेकिन उन्होंने ज्योतिष कब सीख लिया? वे कैसे अपने तीसरे टर्म की घोषणा कर सकते हैं जबकि अभी तीसरे कार्यकाल के लिए जनादेश गर्भ में है। और एक-एक कर राज्य उनकी मुट्ठी से खिसक रहे हैं। जाहिर है कि उनके पास तीसरा आम चुनाव जीतने के लिए झूठ का कोई तीसरा बड़ा पिटारा है। ये पिटारा एन वक्त पर सामने आएगा।