लगभग तीन महीने से जल रहे मणिपुर की खैर-खबर लेने नवगठित ‘इंडिया’ के सांसदों के दल का मणिपुर के लिए कूच करना एक सुखद ख़बर है। कम से कम लोग अब ये तो नहीं कहेंगे कि मणिपुर इंडिया का अंग है या नहीं। मणिपुर को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। लेकिन तीन महीने गुजर जाने के बाद भी हमारी सरकार वहां हिंसा का नंगा नाच रोकने में कामयाब नहीं हो पायी है। केंद्र सरकार पर देशी और विदेशी दबाब भी बेअसर रहा। दुनिया की कोई भी ताकत भारत के प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने के लिए विवश नहीं कर सकी। हमारी सरकार बदस्तूर चुनाव प्रचार में उलझी हुई है।

मणिपुर में क़रीब तीन महीने से जारी हिंसा के बाद अब विपक्षी I.N.D.I.A. के सांसदों के दल के दौरे से क्या असर होगा? क्या ऐसा क़दम पहले उठाया जाता तो और बेहतर नहीं होता?
जलते और निर्वस्त्र मणिपुर को फौरी राहत के लिए केंद्र सरकार की ओर से जो किया जा रहा है, उससे न देश वाकिफ है और न दुनिया, लेकिन तय है कि केंद्र सरकार वहां कुछ न कुछ तो कर रही है। कम से कम उसने मणिपुर की हिंसा के शिकार मैतेयी समुदाय के लोगों को मिजोरम पलायन के लिए विमान तो मुहैया कराया ही है। केंद्र सरकार ने दावा किया था कि 2014 से पहले किसी भी सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर ध्यान नहीं दिया। शायद सच ही होगा क्योंकि जैसे ही मौजूदा सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास पर ध्यान दिया वहां मणिपुर में डबल इंजन की सरकार बन गयी और पूरा मणिपुर जल उठा।